पीरियड दर्द को सामान्य न समझें: एंडोमेट्रियोसिस के शुरुआती निदान और जागरूकता है ज़रूरी*
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सत्य ख़बर, पानीपत
एंडोमेट्रियोसिस एक दर्दनाक और क्रॉनिक स्थिति है जिसमें गर्भाशय की परत जैसी टिशूज़, जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है, गर्भाशय के बाहर बढ़ती है, आमतौर पर अंडाशय (ओवरी) की सतह पर। यह समस्या दुनियाभर में लाखों महिलाओं को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में गंभीर पेल्विक पेन, भारी मासिक धर्म रक्तस्राव, और गंभीर मामलों में बांझपन शामिल हैं।
एंडोमेट्रियोसिस का निदान अक्सर देर से होता है, जिससे उपचार में देरी होती है और मरीज की पीड़ा बढ़ जाती है। इस चुनौती को समझते हुए, सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम, में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की निदेशक डॉ. अंजलि कुमार के नेतृत्व में इस स्थिति से उभरने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और सहानुभूतिपूर्ण देखभाल प्रदान कर रहा है।
डॉ. अंजलि कुमार के नेतृत्व में एक 31 वर्षीय महिला का मामला सामने आया, जो किशोरावस्था से ही गंभीर पेल्विक पेन और मासिक धर्म संबंधी असुविधा से जूझ रही थी। वर्षों तक, उसके लक्षणों को “सामान्य मासिक धर्म दर्द” समझकर नजरअंदाज कर दिया गया और साधारण दर्द निवारक दवाओं से इलाज किया गया। लेकिन उसकी स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती गई, जिसके बाद उसने सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम में विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल ली। परीक्षण में पता लगा कि उनका एंडोमेट्रियोसिस काफी एडवांस्ड स्टेज पर पहुँच गया है, जिसे फ्रोजन पेल्विस भी कहते हैं। फ्रोजन पेल्विस की वजह से अत्यधिक स्कारिंग और अड़हेशन्स होने लगी, जिसके कारण उनके पेल्विस के अंग स्थिर हो गए और उनकी प्रजनन क्षमता भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई। डॉ. अंजलि कुमार और उनकी टीम ने इस मरीज की रोबोटिक सर्जरी की, जिसमें जटिल चिपकाव (अड़हेशन्स) को सावधानीपूर्वक हटाया गया, अंगों की गति बहाल की गई और दर्द को कम किया गया।
डॉ. अंजलि कुमार ने कहा, “चिकित्सकीय दृष्टि से, मासिक धर्म बहुत दर्दनाक नहीं होना चाहिए। थोड़े दर्द को सामान्य माना जा सकता है, लेकिन अगर किसी को मासिक धर्म चक्र के दौरान दर्द निवारक दवाओं पर निर्भर रहना पड़े, तो यह एक ऐसी समस्या का संकेत है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। प्रारंभिक निदान और उपचार महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता और उनकी प्रजनन क्षमता पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।”
रोबोटिक सर्जरी को एंडोमेट्रियोसिस के उपचार में आधुनिक समाधान बताते हुए डॉ. अंजलि ने कहा, “एंडोमेट्रियोसिस के उपचार में रोबोटिक सर्जरी एक क्रांतिकारी समाधान के रूप में उभरी है। इस मामले में भी, रोबोटिक सर्जरी ने अद्वितीय सटीकता प्रदान की, जिससे सर्जिकल टीम को चिपकाव(अड़हेशन्स) को अलग करने और कम से कम रक्तस्राव के साथ इसे हटाने में मदद मिली। मरीज की रिकवरी तेजी से हुई, और उन्होंने कई वर्षों में पहली बार दर्द रहित होने की बात कही। यह तकनीक प्रजनन क्षमता को बनाए रखने और मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में सहायता करती है, विशेष रूप से इस तरह के मामलों में।”
यह मामला निदान में देरी से जुड़ी समस्याओं को उजागर करता है। अनुमान है कि एक महिला को एंडोमेट्रियोसिस का निदान औसतन 5-7 वर्षों के बाद मिलता है। आमतौर पर, इस स्थिति का निदान उस समय होता है जब यह क्रोनिक दर्द और बांझपन का कारण बन चुकी होती है। इसके कुछ सामान्य लक्षणों में सामान्य पेल्विक पेन, शौच के दौरान दर्द, यौन संबंध के दौरान दर्द और गर्भधारण में कठिनाई शामिल हैं। जीवनशैली के कारक, जैसे देर से गर्भधारण, धूम्रपान और अस्वास्थ्यकर आहार, एंडोमेट्रियोसिस के मामलों में वृद्धि का महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
डॉ. अंजलि कुमार ने जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि “हमें यह मिथक खत्म करना चाहिए कि मासिक धर्म के दौरान दर्द सामान्य है। यह महत्वपूर्ण है कि महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस के बारे में शिक्षित किया जाए ताकि वे शुरुआती संकेतों को पहचान सकें और उपयुक्त देखभाल प्राप्त कर सकें।”
यह मामला एक शक्तिशाली अनुस्मारक है कि लगातार मासिक धर्म दर्द सामान्य नहीं है और इसके लिए चिकित्सकीय ध्यान की आवश्यकता होती है। यह प्रारंभिक निदान के महत्व और मासिक धर्म स्वास्थ्य के प्रति बेहतर शिक्षा की आवश्यकता को उजागर करता है।